1. अपना अहित करना पकड़े गए ना नकल करते। 2. अपने से पिछड़ों का अहित करना सबसे बड़ा अपराध है। 3. इस दिन जहां तक हो सके किसी का अहित करना भी हितकारी नहीं रहता है. 4. सारा दिन मौज मस्ती और ऐश आराम में रहना तथा मेहनत से कतराना अपना ही अहित करना है। 5. अत: इन्हें बराबरी की लड़ाई में सम्मिलित करके एक-दूसरे का दुश्मन बनाना व्यक्ति व समाज दोनों का अहित करना है। 6. साधु सांप के पास गया और उसे अहिंसा का उपदेश दिया कि दूसरों का नुकसान करना, अहित करना बुरी बात है इत्यादि. 7. महात्मा जी नें कहा, ” बंधु! मेरा कौन शत्रु? शान्ति और सदाचार की शिक्षा देते हुए भला मेरा कौन अहित करना चाहेगा। 8. किसी ने उसका अहित किया है या कोई उसका अहित करना चाहता है इसके अनुमान मात्र के आधार पर वह तत्क्षण क्रोधित हो जाता है। 9. व्यक्ति झूठ, छल, कपट का सहारा लेकर ढोंग तो सेवा का करता है पर वास्तव में उसका भाव दूसरों का अहित करना होता है। 10. यह ध्यान रहे मनसा, वाचा व कर्म से किसी का अहित करना भी हिंसा व सबकी खुशी में अपनी खुशी देखना ही सबसे बड़ी पूजा है।